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इसलिए हम मुसलमान 9 मुहर्रम और 10 मुहर्रम दोनों का रोज़ा रखते हैं

 इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम जब मदीना में तशरीफ़ लाए तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने यहूदियो को देखा की वो आशूरा के दिन (10 मुहर्रम) का रोज़ा रखते हैं, आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने उनसे इसका सबब पूछा तो उन्होने कहा की ये एक अच्छा दिन है इस दिन अल्लाह सुबहानहु ने बनी इसराईल को उनके दुश्मन ( फिरओन ) से निजात दिलवाई थी इसलिए मूसा अलैही सलाम ने उस दिन का रोज़ा रखा था तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया मूसा अलैही सलाम पर तुमसे ज़्यादा हक़ हमारा है, फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने भी उस दिन रोज़ा रखा और सहाबा रदी अल्लाहू अन्हुमा को भी इसका हुक्म दिया
सही बुखारी, जिल्द 3, 2004

✦ अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की जब रोज़ा रखा रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने आशुरे के दिन (10 मुहर्रम) का और हुक़म किया इस रोज़ का, तो लोगो ने अर्ज़ की या रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ये दिन तो ऐसा है की इसकी ताज़ीम यहूद और नसारा करते हैं,तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया की जब अगला साल आएगा तो इंशा-अल्लाह हम 9 का रोज़ा रखेगे,आख़िर अगला साल ना आने पाया की आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम दुनिया से वफात पा गये (इसलिए हम मुसलमान 9 मुहर्रम और 10 मुहर्रम दोनों का रोज़ा रखते हैं)
सही मुस्लिम, जिल्द 3, 2666
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