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सुरह अज-ज़ुमर (39) ,आयत 65

★ अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की मेरे मेहबूब सल-अल्लाहु अलैही वसल्लम ने मुझे वसीयत फरमाई की अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करना चाहे तुम्हारे टुकड़े टुकड़े कर दिए जाए या तुम्हे आग में जला दिया जाए  सुनन इब्न माज़ा, जिल्द 3, 915-हसन ★ अल क़ुरान : अगर तुमने शिर्क किया तो ज़रूर तुम्हारे आमाल बर्बाद हो जाएँगे और तुम नुकसान उठाने वालों में से हो जाओगे सुरह अज-ज़ुमर (39) ,आयत 65 ★ हदीस: अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की अल्लाह सुबहानहु फरमाता है मैं बेपरवाह हूँ शरीकों से , जिसने कोई ऐसा अमल किया जिसमें मेरे साथ मेरे गैर को शरीक किया तो मैं उसको और उसके शिर्क के काम को (उनके हाल पर) छोड़ देता हूँ  सही मुस्लिम, जिल्द 6 , 7475