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Showing posts with the label Hindi Sunan Ibn Majah

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हदीस: किशोर थोड़ा व्यस्त है, इसलिए मुझे क्षमा करें।

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बिल्लाहिर रहमनिरहीम ------------ ✦   अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तीन बातें ऐसी हैं जिसको हक़ीक़त में कहना भी हक़ीक़त है और मज़ाक में कहना भी हक़ीक़त हो जाता है निकाह तलाक और रुजू (यानि तलाक के बाद बीवी को वापस अपना लेना) -  सुनन इब्न माज़ा  ,  जिल्द  2, 196- सही ------------

शम के वकत पधने की दुआ

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बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम -------------------- ✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शाम हो तो ये दुआ पढ़ा करो  اللَّهُمَّ بِكَ أَمْسَيْنَا وَبِكَ أَصْبَحْنَا وَبِكَ نَحْيَى وَبِكَ نَمُوتُ وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ अल्लाहुम्मा बिका अमसयना वा बिका असबहना वा बिका नहया वा बिका नमुतु वा इलयक अन-नुशुर  या अल्लाह हमने तेरे नाम से शाम की और तेरे ही नाम से सुबह की , और तेरे ही नाम पर हम जीते हैं और तेरे ही नाम पर मरेंगे और तेरी ही तरफ लौट कर जाना है सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 749-सही -------------

इल्म और रज्क मे बरकत की दुआ

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बिस्मिल्लाहिर रहमानिरहिम -------------- ✦ उम्म सलमा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  जब सुबह की नमाज़ में सलाम फेरते तो उसके बाद ये दुआ पढ़ते  اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ عِلْمًا نَافِعًا، ‏‏‏‏‏‏وَرِزْقًا طَيِّبًا، ‏‏‏‏‏‏وَعَمَلًا مُتَقَبَّلًا अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका इल्मन नाफिया , वा रिज़क़न तय्यबा वा अमलन मुतक़ब्बला एह अल्लाह मैं तुझसे ऩफा देने वाले इल्म और पाकीज़ा रिज़क़ और क़ुबूल होने वाले अमल का सवाल करता हूँ सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 925-सही ------------

अल्लाह की रजा हसील कर्ने और नारजघी से बचेन की दुआ

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बिस्मिलाहिर रहमानिरहिम ---------------- ✦  आईशा रदी अल्लाहू अन्हा  से रिवायत है की मैने एक रात रसूल-अल्लाह सल-अलालाहू अलैही वसल्लम  को बिस्तर पर मोजूद नहीं  पाया तो मैं उनको ढूँढने लगी (मकान में अंधेरा था) तो मेरा हाथ आप के क़दमो के तलवों पर जा पढ़ा आपके दोनो पाँव खड़े थे ( यानी आप सजदे की हालत में थे) और आप ये दुआ फरमा रहे थे اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِرِضَاكَ مِنْ سَخَطِكَ  وَبِمُعَافَاتِكَ مِنْ عُقُوبَتِكَ  وَأَعُوذُ بِكَ مِنْكَ  لاَ أُحْصِي ثَنَاءً عَلَيْكَ  أَنْتَ كَمَا أَثْنَيْتَ عَلَى نَفْسِكَ  अल्लहुम्मा इननी आऊज़ु बिरिदाका मीन सख्तिका   वा बीमू'आफ़तिका न उक़ुबतिका,  वा आऊज़ु बिका मिनका,  ला अहसी सनाअन अलयका,  अन्ता कमा सनयता ला नफसीका  ---------------------------- ---------------------------- या अल्लाह मैं पनाह माँगता हू तेरे रज़ामंदी की तेरी नाराज़गी से, और तेरी आफियत की तेरी सज़ा से, और मैं तेरी पनाह माँगता हू तेरे अज़ाब से, मैं तेरी तारीफ का हक़ अदा नही ...

ये दिन (ज़ूमा ) ईद का दिन है

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--------------- ✦ ईब्न  अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल्लअल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम    ने फरमाया ये दिन (ज़ूमा ) ईद का दिन है जो अल्लाह ने मुसलमानो को ता फरमाया है, इसलिए जो ज़ूमा के लिए आए  तो गुसल कर ले और खुश्बू मिल जाए तो लगा ले और तुम पर मिस्वाक भी  है   सुनन इब्न माजा , जिल्द  1, 1098-हसन ✦ ईब्न  अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की ररसूल्लअल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम    के ज़माने में दोनो ईदें एक ही दिन आ गयी ( एक तो ईद और दूसरा ज़ूमा)  तो आपने ईद की नमाज़ अदा करके फरमाया जो ज़ूमा की नमाज़ के लिए आना चाहे आ जाए और जो ना आना चाहे ना आए सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 1312-हसन

कर्जड़र को मोहत दीन पर हर रोज़ सज़ाके का सयाब मिल्ता है

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बिस्मिल्लाहिर रहमानिरहिम ------------ ✦ रसूल-अल्लाह  ﷺ ने फरमाया जो तंगदस्त को मोहलत देगा  उसको हर दिन के बदले सदक़े का सवाब मिलेगा और जो अदायीगी की मियाद गुज़रने के बाद भी मोहलत दे तो उसको दिए गये क़र्ज़े के बराबर  हर रोज़ सदक़े का सवाब मिलेगा सुनन इब्न माजा  , जिल्द 2, 575-सही ------------

रसूल अल्लाह सललललाहू अलैही वसल्लम ने एक शख्स को ये दुआ करते हुए सुना

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--------------- रसूल अल्लाह सललललाहू अलैही वसल्लम  ने एक शख्स को ये दुआ करते हुए सुना  اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِأَنَّ لَكَ الْحَمْدَ،‏‏‏‏ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ وَحْدَكَ لَا شَرِيكَ لَكَ،‏‏‏‏ الْمَنَّانُ بَدِيعُ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ،‏‏‏‏ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ،‏‏‏‏ ✦ अल्लहुम्मा इन्नी असअलूका बी-अन्ना लकल-हम्द  ला इलाहा इल्ला अन्त,  वाहदका ला शरीका लक, अल-मन्नान.  बदी-उस-समावाती वल-अर्द , ज़ुल-जलाली वल-इकराम  ✦ एह अल्लाह मैं तुझसे सवाल करता हू क्यूंकी तेरे ही लिए हम्द है तेरे सिवा कोई माबूद ए बरहक़ नही ,  तू अकेला है , तेरा कोई शरीक नही, तू बहुत एहसान करने वाला है,  आसमानों और ज़मीनो को बगैर मिसाल के पैदा करने वाला है , जलाल और अज़मत वाला है  ये सुनने के बाद रसूल अल्लाह सललललाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया इस शख्स ने अल्लाह से उसके इस्म-ए-आज़म के ज़रिए सवाल किया है  जब भी उसके ज़रिए सवाल किया जाता है तो वो अता करता है और जब उसके ज़रिए दुआ माँगी जाती है तो वो क़ुबूल करता है सुनन इब्न माजा, जिल...

अफजल ज़िक्र ला इलाहा बीमार अल्लाह है और अफजल दुआ अलहमदुलील्ला है

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बिस्मिल्लाहिर रहमानिरहिम ------------- ✦ जाबिर बिन अब्दुलाह  रदी अल्लाहु अन्हु  से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अफज़ल ज़िक्र ला इलाहा इलअल्लाह है और अफज़ल दुआ अल्हम्दुलिल्लाह है  सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 681- हसन  -------------

तक़वा और अच्छे अखलाक के ज़रिये अक्सर लोग जन्नत में जायेंगे

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बिस्मिल्लाहिर रहमानिरहिम -------- ✦ रसूल-अल्लाह सललाल्लाहू अलैही वसल्लम से पुछा गया अक्सर लोग किस वजह से जन्नत में जाएँगे  तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तक़वा (अल्लाह सुब्हानहु का खौफ) और अच्छे अखलाक फिर पुछा गया अक्सर लोग किस वजह से दोज़ख़ में जाएँगे ,फरमाया दो खोखली चीज़ें मुंह और शर्मगाह क्यूंकि मुंह से बुरी बातें निकलेगी और शर्मगाह से हराम काम करेंगे सुनन इब्न माजा  जिल्द 3, 1127-सही

आदमी को हर खर्च में सवाब मिलता है

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---------------- ✦ रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम  ने फरमाया आदमी को हर खर्च में सवाब मिलता है सिवाए मिट्टी में खर्च करने के या फरमाया की इमारत में खर्च करने का सवाब नही मिलता सु न न  इब्न माजा  जिल्द 3, 1044-हसन ----------------

अल्लाह सुब्हानहु पेट के बल सोने वालो को पसंद नहीं फ़रमाता

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✦ रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अल्लाह सुबहानहु ने मेरी उम्मत से जो उनके दिलो में वसवसे आते हैं  उनको माफ़ कर दिया है जब तक उस पर अमल ना करें या उसको बोले नहीं  और इस तरह उन कामों को भी  माफ़ कर दिया है जिस पर वो मजबूर कर दिए जाए सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 2044-सही ------

मोमीन

✦ रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता जब तक वो चार चीज़ो पर ईमान ना ले आए अल्लाह वाहदहु ला शरीक पर,  मेरे (यानी मुहम्मद ﷺ के) अल्लाह के रसूल होने पर , मौत के बाद ज़िंदा होने पर और तक़दीर पर सुनन इब्न माज़ा, जिल्द 1, 81-सही --------- ✦ रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा तब तक मोमीन नही हो सकता जब तक उसके वालिद और उसकी औलाद और तमाम लोगों से ज़्यादा उसके दिल में मेरी मुहब्बत ना हो जाए सही बुखारी, जिल्द 1, 15 --------- ✦ रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा तब तक मोमीन नही हो सकता जब तक अपने भाई या पड़ोसी के लिए वही पसंद ना करने जो अपने लिए करता है सही मुस्लिम, जिल्द 1, 171 --------- ✦ रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता जब तक अच्छी और बुरी तक़दीर पर ईमान ना लाए यहाँ तक की वो ये यकीन ना कर ले की जो चीज़ उसको मिलने वाली थी वो उसको ही मिली किसी और के पास नही जा सकती थी और जो चीज़ उसको नही मिलने वाली थी वो किसी भी सूरत में उसको नही मिल सकती थी  जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, हदीस 15-हसन

सुरह निसा (4) आयत 11

✦ अल क़ुरान : अल्लाह सुबहानहु तुम्हारी औलाद के बारे में तुमको इरशाद फरमाता है की (जायदाद में) एक लड़के का हिस्सा दो लड़कियों  के बराबर है (यानी एक बेटे को जितना हिस्सा दिया जाएगा उसका आधा हिस्सा बेटी को भी देना ज़रूरी है) सुरह निसा (4) आयत 11 ✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैहि  वसल्लम ने फरमाया आदमी 70 साल तक (यानी ज़िंदगी भर) नेक आमाल करता रहता है फिर वसीयत के वक़्त अपनी वसीयत में नाइंसाफी कर देता है जिसकी वजह से उसका ख़ात्मा बुरे आमाल पर हो जाता है और वो जहन्नुम में चला जाता है इसी तरह आदमी 70 साल तक बुरे आमाल करता रहता है लेकिन अपनी वसीयत मैं इंसाफ़ कर देता है तो उसका ख़ात्मा बिल-खैर होता है और वो जन्नत में चला  जाता है  सुनन इब्न माजा ,जिल्द 2, 861-हसन

अल्लाह सुबहानहु से मगफिरत और आफ़ियत माँगा करो,

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✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अल्लाह सुबहानहु से मगफिरत और आफ़ियत माँगा करो, क्यूंकि यक़ीन के बाद आफ़ियत से बेहतर कोई चीज़ किसी को नहीं दी गयी  जामिया तिरिमिज़ी , जिल्द 2, 1482-सही ✦ इब्न उमर रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम सुबह और शाम को ये दुआ माँगना कभी नहीं छोड़ा यानि रोज़ाना सुबह और शाम में इसको पढ़ा करते थे  اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَةَ فِي الدُّنْيَا وَالآخِرَةِ Allahumma inni Asalukal-Afwa Wa Al-Aafiyah fid-dunya wa Al-Aakhirah अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुकल-अफ़वा वा अल-आफ़िया फीद दुनिया वा अल आखिरा  या अल्लाह मैं तुझसे दुनिया और आखिरत में मगफिरत और आफ़ियत मांगता हूँ  सुनन इब्न माजा , जिल्द 2 , 1482-सही --------------

ज़ैद बिन साबित रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की

✦ ज़ैद बिन साबित रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अगर तुम्हारे पास उहद पहाड़ के बराबर माल हो और उसको अल्लाह की राह में खर्च करो तब भी वो तुम्हारी जानिब से तब तक क़ुबूल नही किया जाएगा जब तक की तुम तक़दीर पर ईमान ना ले आओ , और जान लो की जो मुसीबत तुम्हे पहुँच गयी वो तुमसे टलने वाली नही थी , और जो मुसीबत तुम तक नही पहुंची वो तुम तक पहुँचने वाली थी ही नहीं , इसके सिवा तुम किसी और अक़ीदे पर मर गये तो जहन्नम में दाखिल होंगे सुनन ईब्न माजा , जिल्द 1, 77-सही ✦ अल-मुगिरा रदी अल्लाहू अन्हु ने मुआवीया रदी अल्लाहू अन्हु को लिखा की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब हर नमाज़ के बाद सलाम फेरते तो ये कहते की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है ,वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही , मुल्क उसके लिए है, और उसी के लिए तमाम तारीफें हैं और वो हर चीज़ पर क़ुदरत रखने वाला है, एह अल्लाह जो कुछ तू देना चाहे उसे कोई रोकने वाला नही, और जो कुछ तू रोकना चाहे उसे कोई देने वाला नही और तेरे सामने दौलत वालों की दौलत कुछ काम नही आ सकती सही बुखारी, जिल्द 8, 6615

इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत, अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की

✦ इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस से हो सके की वो मदीना में आकर मरे तो वही पर मरे क्यूंकी जो मदीना में मरेगा उसकी मैं शफाअत करूँगा जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, 1849-हसन ✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो शख्स मदीने की भूख और सख्ती बर्दाश्त करेगा क़यामत के दिन मैं उसका शफ़ी या गवाह बनूँगा जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, 1856-हसन ✦ इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम में से जो ये कर सके की वो मदीने में आकर मरे तो वो ऐसा ज़रूर करे इसलिए की मैं मदीने में मरने वाले के हक़ में गवाही दूँगा सुनन इब्न माज़ा , जिल्द 2, 1269-हसन ✦ हदीस: ज़ैद बिन असलम रदी अल्लाहू अन्हु ने अपने वालिद से सुना की हज़रत उमर रदी अल्लाहू अन्हु ये कहा करते थे या अल्लाह मुझे तेरे रास्ते में शहादत नसीब फरमा और तेरे रसूल सललल्लाहू अलैही वसल्लम के शहर (मदीना) में मौत नसीब फरमा सही बुखारी, जिल्द 3, 1890

हज़रत अली रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है

✦ हज़रत अली रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम असर से पहले 4 रकात (सुन्नत) पढ़ते थे जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 2, 410-हसन ✦ इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अल्लाह सुबहानहु उस बंदे पर रहम फरमाए जो असर से पहले चार रकात (सुन्नत) पढ़े जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 2,411-हसन ✦ हज़रत तमीम दारी रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया बंदे से क़यामत के रोज़ सबसे पहले नमाज़ का हिसाब होगा अगर उसकी नमाजें पूरी होंगी तो उसके नवाफिल अलग से लिख दिए जाएँगे और अगर उसने नमाजें पूरी नही की होंगी तो अल्लाह सुबहानहु अपने फरिश्तों से फरमाएगा देखो क्या मेरे बंदे के पास नवाफिल हैं ? तो उन नवाफिल के ज़रिए जो फराईज़ उसने ज़ाया कर दिए उनकी तकमील कर दो फिर बाक़ी आमाल का हिसाब भी इसी तरह होगा सुनन इब्न माजा, जिल्द 1, 1426 सही

सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 252-हसन

✦ अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शराब ना पीना क्यूंकी ये हर बुराई की कुंजी है सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 252-हसन ✦ अबू हुरैरह रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो दुनिया में शराब पीए वो आख़िरत में (जन्नत की) शराब से महरूम रहेगा सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 254-सही ✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शराब पीने का आदि बूत परस्त की तरह होता है  सुनन इब्न माजा , जिल्द 3, 256-हसन ✦ अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शराब पीने का आदि जन्नत में नही जाएगा  सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 257-हसन ------------