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उस्के गुनाह बख्श दी जाते हैं चहे समंदर के झग के बरबर क्यू ना हो


बिस्मिल्लाहिर रहमानिरहिम
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 रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  ने फरमाया जो हर नमाज़ के बाद
33 बार सुबहानअल्लाह
33 बार अलहम्दुलिल्लाह,
33 बार अल्लाहु अकबर कहे तो ये 99 कलमे होंगे और उसको ये कहकर 100 कर ले

(1 बार)   ला ईलाहा ईलअल्लाह वाह्दहू ला शरीका लहूलहू-ल-मुल्क वा लहू-ल-हम्द  वा हुवा आला कुल्ली शै'इन क़दीर
तो उसके गुनाह बख़्श दिए जाते हैं चाहे समुंदर के झाग के बराबर क्यूँ  ना हो
सही मुस्लिमजिल्द 2, 1352

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