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बदन के आफ़ियायत (सलामती) की दुआ



बिस्मिलाहिर रहमानिरहिम
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✦ अब्दुल रहमान बिन अबू बक्र रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की उन्होने अपने वालिद से पूछा की अब्बू जान मैं आपको हर सुबह और शाम को तीन मर्तबा ये दुआ पढ़ते हुए सुनता हूँ 
اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَدَنِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي سَمْعِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَصَرِي لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ
✦ अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बदानी, अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि समई, अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बशारी, ला ईलाहा इल्ला अन्ता 
✦ या  अल्लाह तू मेरे बदन में आफियत अता फरमा , या अल्लाह तू मेरे कानों में  आफियत अता फरमा, 
या अल्लाह तू मेरी निगाहों में  आफियत अता फरमा, तेरे सिवा कोई माबूद नही
तो उन्होने कहा की मैने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम को यही दुआ पढ़ते हुए सुना है और मुझे पसंद है की मैं उनकी सुन्नत पर अमल करता रहूँ 
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1649-हसन
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