बिस्मिलाहिर रहमानिरहिम
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✦ आईशा रदी अल्लाहू अन्हा से रिवायत है की मैने एक रात रसूल-अल्लाह सल-अलालाहू अलैही वसल्लम को बिस्तर पर मोजूद नहीं पाया तो मैं उनको ढूँढने लगी (मकान में अंधेरा था) तो मेरा हाथ आप के क़दमो के तलवों पर जा पढ़ा आपके दोनो पाँव खड़े थे ( यानी आप सजदे की हालत में थे) और आप ये दुआ फरमा रहे थे
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِرِضَاكَ مِنْ سَخَطِكَ
وَبِمُعَافَاتِكَ مِنْ عُقُوبَتِكَ
وَأَعُوذُ بِكَ مِنْكَ
لاَ أُحْصِي ثَنَاءً عَلَيْكَ
أَنْتَ كَمَا أَثْنَيْتَ عَلَى نَفْسِكَ
अल्लहुम्मा इननी आऊज़ु बिरिदाका मीन सख्तिका
वा बीमू'आफ़तिका न उक़ुबतिका,
वा आऊज़ु बिका मिनका,
ला अहसी सनाअन अलयका,
अन्ता कमा सनयता ला नफसीका
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या अल्लाह मैं पनाह माँगता हू तेरे रज़ामंदी की तेरी नाराज़गी से,
और तेरी आफियत की तेरी सज़ा से,
और मैं तेरी पनाह माँगता हू तेरे अज़ाब से,
मैं तेरी तारीफ का हक़ अदा नही कर सकता
तो वैसा ही है जैसा तूने खुद अपनी तारीफ फरमाई है
सुनन इब्न मज़ा,जिल्द 3, 722-सही
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