✦ 19 - सीरत उन नबी सलअल्लाहू अलैही वसल्लम
✦ 1. अल-ईसरा वा अल-मैराज
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✦ अब्बास बिन मलिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की मलिक रदी अल्लाहू अन्हु ने कहा की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने उनसे शब ए मैराज का वाक़िया बयान किया. आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया की मैं हतिम मे लेटा हुआ था.
बाज़ दफ़ा क़तादा ने हतिम की बजाए हज़र बयान किया की मेरे पास एक साहब ( जिबरील अलैही सलाम ) आए और मेरा सीना चाक किया , मैने हज़रत अनस से सुना , उन्होने बयान किया की आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम के मुबारक सिने को ऊपर से नाफ़ तक चाक किया ,
फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़रमाया मेरा दिल निकाला और एक सोने का तश्त लाया गया जो ईमान से भरा हुआ था ,उस से मेरा दिल धोया गया और पहले की तरह रख दिया गया.
✦ उसके बाद एक जानवर लाया गया , जो घोड़े से छोटा और गधे से बड़ा था और सफेद, हज़रत अनस रदी अल्लाहू अन्हु से पूछा अबू हमज़ा ! क्या वो बुर्राक़ था ? आपने फरमाया हाँ . उसका हर क़दम उसकी नज़र की इन्तेहा तक पढ़ता था , फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया की मुझे उस पर सवार किया गया और जिबरील अलैही सलाम मुझे ले कर चले और आसमाने दुनिया पर पहुचे तो दरवाज़ा खुलवाया . पूछा गया कौन साहब है ? उन्होने बताया की जिबरील (अलैही सलाम), पूछा गया और आपके साथ कौन है? आपने फरमाया की हज़रत मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम , . पूछा गया , क्या उन्हे बुलाने की लिए आपको भेजा गया था ? उन्होने जवाब दिया हाँ , इस पर आवाज़ आई उन्हें खुश आमदीद ! क्या ही मुबारक आने वाले हैं वो, और दरवाज़ा खोल दिया .
सही बुखारी, जिल्द 5, 3887
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