✦ हदीस : जिसने नमाज़ में सुराह फ़ातिहा नही पढ़ी तो उसकी नमाज़ पूरी नही हुई
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✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है रसूल-अल्लाह सललाल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने नमाज़ में सुराह फ़ातिहा नही पढ़ी तो उसकी नमाज़ पूरी नही हुई और उसकी नमाज़ नाक़िस (अधूरी) है, ये जुमला आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने तीन बार फरमाया,
अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से लोगो ने पूछा की जब हम ईमाम के पीछे हो तो क्या करे ? उन्होने कहा की उस वक़्त तुम आहिस्ता से सुरह फ़ातिहा पढ़ लिया करो, क्यूंकी मैने रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम को ये फरमाते हुए सुना है की
✦ अल्लाह सुबहानहु फरमाता है नमाज़ मेरे और मेरे बन्दों के दरमियान आधी आधी तक़सीम हो चुकी है और मेरा बंदा जो सवाल करता है वो पूरा किया जाता है
जब कोई शख्स अलहम्दु लिल्लाही रब्बील-आलमीन कहता है तो अल्लाह सुबहानहु फरमाता है की मेरे बंदे ने मेरी तारीफ की और जब अर-रहमान अर-रहीम कहता है तो अल्लाह सुबहानहु फरमाता है मेरे बंदे ने मेरी तौसीफ़ की,
और जब बंदा मालिकी-यौम-अद-दिन कहता है तो अल्लाह सुबहानहु फरमाता है मेरे बंदे ने मेरे बुज़ुर्गी बयान की, और ये भी फरमाता है की मेरे बंदे ने अपने सब काम मेरे सुपुर्द कर दिए
✦ और नमाज़ी जब ईय्याका नाअबुदू वा ईय्याका नस्तईन कहता है तो अल्लाह सुबहानहु फरमाता है ये मेरे और मेरे बंदे के दरमियान का मुआमला है , मेरा बंदा जो सवाल करेगा वो उसको मिलेगा
✦ फिर जब नमाज़ी अपनी नमाज़ में ईहदीनससीरात अल-मुस्तक़िम , सीरात अल-लज़ीना अन-अमता अलैहिम , गैर-इल-मगदुबी अलैहिम वा ला-द-दाल्लीन कहता है तो अल्लाह सुबहानहु फरमाता है ये सब मेरे इस बंदे के लिए है, जो वो तलब करेगा उसको दिया जाएगा
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 878
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